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(धारावाहिक उपन्यास 1 )

शाम का समय था करीब पांच बज रहे होंगे सूर्य पश्चिम दिशा से पूरे आसमान में लाल किरणे छोड़ता हुआ आइस्ता-आइस्ता समुद्र में समता चला गया. मैं एक गुडिया हाथ में लिए चहारदीवारी के पास खड़ी होकर अपने नियमित गति से चल रही जहाज तथा जहाज द्वारा उछाले गए पानी के साथ जी-जान लगाकर किनारे की तरफ भागती और उछलती हुई तरह –तरह की समुद्री मछलियों को देख रही थी. अचानक मेरे हाथ से गुडिया छूटकर नीचे की तरफ गिरी. मैं झुककर देखने लगी. आश्चर्य ! देखा कि एक चौदह-पंद्रह वर्षीय, सावला रंग लेकिन खुबसूरत लड़का जो काला पेंट और भूरे रंग की जर्सी पहने हुए था, लपककर समुद्र की तरफ गिरती हुई मेरी गुडिया को बीच में ही पकड़ लिया. वह मेरी तरफ देखा, उसके होठों पर विजयी मुस्कान थी.
 
            इस घटना से बेखबर जहाज अपनी रफ़्तार से अपने गंतव्य की तरफ बढ़ती चली जा रही थी.
मैं उपर से ही चिल्लाई – “वह मेरी है”
            वह भी चिल्लाते हुए बोला-“ मैं कब कह रहा हूँ कि मेरी है.”
            “मुझे वापस दे दो”
            “नीचे आ आओ तब दूंगा.”
            “मैं आ रही हूँ.” – और मुझे न चाहते हुए भी वहां नीचे जाना पड़ा.कुछ ही देर में मैं सीढियों के रस्ते उतरते हुए उसके पास पंहुची.
            “लाओ दो मुझे”
“नहीं, मैं नहीं दूंगा”
“क्यों ?”
“पहले तुम अपना नाम बताओ और मुझसे दोस्ती करो” – वह अपना एक हाथ मेरी तरफ बढ़ाते हुए मुस्कुराते हुए बोला.
“नयनतारा ! ...नयनतारा नाम है मेरा.” मेरा हाथ उसके हाथ में था.
उसने मेरी गुडिया वापस कर दी. अभी भी उसके दांत दीख रहे थे. वह खुश था मुझसे मिलकर. मैं भी खुश थी. मैं वहां से वापस लौटने लगी.तभी मेरे दिल में एक लहर सी उठती हुई मेरे होठों पर चली आयी –“ तुमने अपना नाम नहीं बताया ?”
            “चंद्रपाल” –वह जहाज की चहारदीवारी पर खड़ा वियावान समुद्र को देखने लगा.
            “नैना ! इन मछलियों को देखो.”      
चित्र में ये शामिल हो सकता है: महासागर, आकाश, रात, बाहर, पानी और प्रकृति


मैं उसके पास आ गयी, चहारदीवारी के पास और मैं भी उन भागती और उछलती मछलियों को देखने लगी. कहीं पर निगाहें कही पर निशाना वाली स्थिति थी मेरी... मैं अपने नए नाम को सुनकर अन्दर ही अन्दर ख़ुशी के मारे झूम रही थी. तभी एक बहुत बड़ी मछली, जहाज के निचले सतह से तेजी से उपर की तरफ उछली और गोता लगते हुए विशाल समुद्र में समां गयी.                                                                          

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