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मार्च, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

(धारावाहिक उपन्यास, एपिसोड-5)

हम दोनों का परिचय जानने के बाद उस आदमी ने अपना परिचय इस प्रकार दिया – उसके अनुसार : उसका नाम रालसन था और वह पेशे से एक चोर था. उसका ठिकाना मल्लाहों की एक बस्ती में था. उसकी अपनी एक निजी एक मकान थी लेकिन शायद ही वह उसमे कभी रहा हो. वैसे उस मकान का सुख भोगने वाला उसका और कोई अपना नहीं था. अभी उसके बाल-बच्चे भी नहीं हुए थे कि उसकी पत्नी उसे अकेला छोड़कर परलोक सिधार गयी. वह अपने जीवन काल में बहुत सारा धन इकठ्ठा किया लेकिन कभी भी वह उसका भौतिक सुख नहीं भोग पाया. इतना धन होने के बावजूद भी वह अपने पेशे से बाज न आया. उसे चोरी करने में ही परम शुख की अनुभूति होती. उसने बताया कि शायद वह इस नशे का आदी हो गया था. उसने यह नशा अपनी मर्जी से नहीं बल्कि हालात से मजबूर होकर पकड़ा था. उसका दावा था कि उसके जगह पर यदि संसार का कोई भी इंसान होता तो शायद यही करता. क्योकि पैसे के कारण ही जमीदारों ने उसकी माँ को सरेआम बाजार में नंगा करके चाबुक से पीट-पीट कर मार डाला था. इतना ही नहीं उन जमीदारो ने उससे बचपन से लेकर कई वर्षों तक अपने यहाँ गुलामों की तरह रखा और उससे मजदूरी कराते रहे. एक दिन मौका पाकर वह वहां से...

(धारावाहिक उपन्यास, एपिसोड-4)

जब मेरी नींद खुली तो अँधेरा छंट गया था और सूर्य अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिए उतावला था. अनंत तक फैला समुद्र, स्पष्ट दिखाई दे रहा था. शांत समुद्र में हमारी जीवन नैया भी शांत थी. और वे दोनों भी शांत थे. मने सोये हुए थे. वह आदमी, जिसके सिर के आधे से ज्यादा बाल सफेद हो चुके थे. दाढ़ी में भी सफेद बालों का विकास जोरो पर था. शक्ल-सूरत से एक भला इंसान लगा. लेकिन उसके खर्राटे की आवाज भयानक थी. मैं उनके जागने के पहले ही अपने दैनिक क्रिया से निवृत हो गयी और अपने भीगे कपड़े सुखाने लगी.           जब वे जगे तो सूर्य काफी उपर चढ़ आया था. दूर-दूर तक केवल जल ही जल फैला हुआ था. हम कहाँ थे ? किस दिशा में थे ? कुछ मालूम न था. हमारी शुरूआती दिशा का ज्ञान भी अबतक मिट चुका था. इस लिए हमें हमें दिशाभ्रम हुआ और सूर्य का उदय पश्चिम दिशा की तरफ होता हुआ नजर आया.           मेरे कपडे सुख गए थे.जल्दी से मैंने उसे पहन लिया. वे दोनों भी कम्बल की आड़ लेकर दैनिक क्रिया से निवृत हुए. उसके बाद हम रात का बचा हुआ चना एक साथ ब...