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जून, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आम के आम गुठलियों के दाम रेल मंत्रालय के नाम

देश को आर्थिक विकास की चिंता के साथ-साथ पर्यावरण के बारे में भी चिंता की आवश्यकता है. अभी तक हम विज्ञान और तकनीकि के सहारे विकास के आर्थिक पक्ष पर ही नजर गड़ाए बैठे हैं, तो सरकार की नीति और योजनायें भी किसी न किसी रूप में विकास के आर्थिक पक्ष की ही पक्षधर रही हैं. नतीजतन आज हम उसका परिणाम देख रहे हैं. सूखा, बाढ़ और पीने के पानी का संकट जैसी समस्याएं निरंतर विकराल रूप धारण करती जा रही हैं. आज हम एक ऐसी नगरीकरण की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं जिसमें लोग तेजी से गाँव से शहर की तरफ पलायन कर रहे हैं. इसका एक ही प्रमुख कारण हैं, वह है शहरों में आसानी से उपलब्ध भौतिक सुख-सुविधा. लेकिन इस सुख-सुविधा को प्राप्त करने की आपाधापी में हम यह निरंतर भूलते जा रहे हैं कि पर्यावरण बदल रहा है और यह बदलाव सिर्फ सामान्य बदलाव नहीं है. यह प्रकृति का इंसानों पर आक्रमण करने की बेचैनी है. जिसका परिणाम बहुत भयानक और त्रासदीपूर्ण होगा. अतः सरकार और विकास की रूप-रेखा तैयार करने वालों को यह सोचना होगा, कि भविष्य में कभी भी आने वाली भयानक त्रासदी से कैसे निपटा जाय. इसके लिए उन्हे विचार-विमर्श, राष्ट्रीय स्तर पर सं...